उदयपुर में भ्रष्टाचार चरम पर। खुद रक्षक बन रहे है भक्षक। खाखी को किया जा रहा है दागदार।

फील्ड पोस्टिंग में डीएसपी जितेन्द्र आंचलिया को किया एपीओ। कन्हैयालाल हत्याकांड में भी हुए थे निलंबित, भष्ट्राचार मामले में डीएसपी जितेन्द्र आंचलिया को संदिग्ध मानते हुए चल रही जांच। एंकर : उदयपुर में सुखेर में तैनात थानेदार द्वारा रिश्वत की मांग करने और तत्कालीन डिप्टी जितेन्द्र आंचलिया द्वारा परिवादी को थाने में बुलाकर गिरफ्तारी का डर दिखाकर समझौता करवाने का मामला सामने आने पर पुलिस डीएसपी जितेंद्र कुमार आंचलिया को एपीओ करने के आदेश जारी किए। आदेश के अनुसार अब उन्हें जयपुर पुलिस मुख्यालय पर उपस्थिति देनी होगी। कन्हैयालाल हत्याकांड में निलम्बित होने के बाद नवम्बर में ही जितेंद्र कुमार आंचलिया बहाल हुए थे। बहाली के बाद उन्हें पोस्टिंग नहीं मिली थी। उन्हें उदयपुर आईजी ऑफिस में अटैच किया गया था, लेकिन चार जनवरी को पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने डिप्टी जितेंद्र कुमार के आईजी ऑफिस उदयपुर के अटेचमेंट से निरस्त कर दिया और उन्हें जयपुर मुख्यालय पर उपस्थिति देने के आदेश जारी किए हैं। बताया जा रहा है यह आदेश भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में तीस दिसम्बर को दर्ज हुई एफआईआर के बाद आए हैं जिसमें लिखा है कि डिप्टी से मामले में विस्तृत जांच की जानी है। एक एनआरआई ने नवंबर में एसीबी में रिपोर्ट दी उसके परिवार ने 2007 में भुवाणा क्षेत्र 32 हजार वर्गफीट जमीन खरीदी थी उस भूखण्ड में विवाद हुआ। परिवादी के भाई की मृत्यु से पहले भाई ने उनकी पत्नी के नाम जमीन का कुछ हिस्सा गिफ्ट डीड किया था लेकिन अब भाभी पूरी जमीन पर दावा कर रही है। परिवादी ने बताया कि मामला सुखेर थाने में दर्ज होने से उसकी जांच उपनिरीक्षक रोशनलाल द्वारा की जा रही थी। डिप्टी जितेंद्र कुमार ने थाने में परिवादी को धमकाया और पासपोर्ट जब्त कर मामले में गिरफ्तार करने तक की धमकी दी और जमीन का जबरन एग्रीमेंट कराया और समझौता पत्र खुद ने लिखा। रिपोर्ट में यह कहा कि आपके खिलाफ जो रिपोर्ट दर्ज है उसमें एफआर पेश कर दी जाएगी। उसके लिए उपनिरीक्षक रोशनलाल दो लाख रुपए की मांग कर रहा है। दर्ज रिपोर्ट के अनुसार जमीन के मामले में बातचीत करने के लिए पंचवटी स्थित होटल में डिप्टी जितेंद्र कुमार और परिवादी की मुलाकात हई थी। एसीबी ने होटल में परिवादी व डिप्टी जितेंद्र कुमार के बीच हुई बातचीत रिकार्ड कर ली थी। यह रिकार्डिंग एसीबी के पास है। शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने मामले की तस्दीक की और उपनिरीक्षक रोशनलाल द्वारा रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि हुई। एसीबी उपनिरीक्षक रोशनलाल को ट्रेप करती उससे पहले दूसरे पक्ष कोर्ट में एफआर पर चुनौती दे दी। ऐसे में उपनिरीक्षक रोशनलाल जिस एफआर के लिए रिश्वत मांग रहा था वह मामला उसके हाथ से निकल गया और उसका परिवादी से संबंध संपर्क खत्म कर दिया। मामला सामने आने पर एसीबी द्वारा एफआईआर दर्ज करने पर पुलिस मुख्यालय ने डिप्टी जितेन्द्र आंचलिया को एपीओ कर दिया।

उदयपुर में भ्रष्टाचार चरम पर। खुद रक्षक बन रहे है भक्षक। खाखी को किया जा रहा है दागदार।
उदयपुर में भ्रष्टाचार चरम पर। खुद रक्षक बन रहे है भक्षक। खाखी को किया जा रहा है दागदार।