जालौर की हृदयस्पर्शी घटना के विरोध में अम्बेडकरी संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति जी को पत्र प्रेषित किया*

जालौर की हृदयस्पर्शी घटना के विरोध में अम्बेडकरी संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति जी को पत्र प्रेषित किया*

*जालौर की हृदयस्पर्शी घटना के विरोध में अम्बेडकरी संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति जी को पत्र प्रेषित किया*

: कमजोर वर्गों को एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता ।

  बी.पी.एस  लाईव्ह न्यूज नेटवर्क                                   सावनेर:-अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ के पूर्व जिला उपाध्यक्ष एवं दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के स्टेट मेंबर साहित्यकार एस.आर.शेंडे,दलित मुक्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष एड. रमेश लोखंडे, राष्ट्रीय मजदूर सेना के जिलाध्यक्ष एड. राजेश सांगोड़े, भारतीय बौद्ध महासभा के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र पाटिल .......ने जालौर राजस्थान में घटित मर्मस्पर्शी दुखदायी घटना की निंदा करते हुए महामहिम राष्ट्रपति के नाम पत्र प्रेषित कर मृत इन्द्र मेघवाल के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा देने,दो सदस्यों को सरकारी नौकरी देने,समय पर पुलिस व स्वास्थ्य सहायता नहीं देने वालों के एवं मौत के लिए जिम्मेदार नराधाम जातिवादी कथित गुरु को कड़ी सजा दिलाने,भयभीत मेघवाल परिवार को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के साथ भविष्य में ऐसी उद्वेलित करने वाली घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो पाएँ ऐसी व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है ।

 पत्र प्रेषितों ने बताया कि,एक दलित अबोध मासूम इन्द्र की छुआछूत के चलते मिट्टी के घड़े से मात्र पानी पीने भर से एक भगवान समान गुरु के द्वारा पिट पिट कर मरणासन्न कर देना,पुलिस द्वारा 23 दिनों तक एफआईआर दर्ज ना करना,फिर मृत बालक के परिजनों पर लाठियां भांजकर दबाव बनाना हमारे हुक्मरानों व सभ्य समाज के माथे पर कलंक है। स्वाधीनता के 75 वर्षों के बाद आज भी कमजोर वर्गों पर वर्णवादी कट्टरपंथी दबंगों द्वारा जुल्मों का दौरा बेखौफ जारी है। दलितों को मूछ रखने, घोड़े पर बैठने तक की मनाई है। आज भी शालाओं में दलित बालकों को हैंडपंपों तक का पीने के लिए पानी नसीब नहीं होता। मध्यान्ह भोजन में भेदभाव किया जाता है। सामाजिक बहिष्कार, बेटियों का उत्पीड़न अलग होता है ।उत्पीड़न के कई मामलों में एट्रोसिटी तो दूर साधारण प्राथमिक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जाती। ना जाने कितने इन्द्र उत्पीड़न के होते है शिकार । संविधान के शिल्पकार डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने अनुच्छेद 334 के तहत कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए राजनीतिक आरक्षण का प्रावधान किया है।जिसकी बदौलत लोकसभा में 543 में से अजा /अजजा के 141 सांसद व 1200 के लगभग विधायक चुनकर आते हैं । दुर्भाग्य से वें अपनों के हितों के लिए कभी आंदोलनरत या मुखर होते नहीं दिखाई देते ।शासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इन वर्गों का शासकीय सेवा व न्यापालिका में प्रतिनिधित्व नही के बराबर है ।कमजोर वर्गों द्वारा एकजुट होकर वाजिब अधिकारों व न्याय के लिए संघर्ष करना समय की आवश्यकता है ।